Monday, 21 September 2020

Durga Aarti | दुर्गा आरती | Amba ji Aarti in Hindi

 Durga Aarti | दुर्गा आरती | Amba ji Aarti in Hindi



ॐ जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी
 तुम को निशदिन ध्यावत हरि ब्रह्मा शिवरी. ॐ जय अम्बे…

 मांग सिंदूर विराजत टीको मृगमद को
 उज्जवल से दो नैना चन्द्र बदन नीको. ॐ जय अम्बे…

 कनक समान कलेवर रक्ताम्बर राजे
रक्त पुष्प दल माला कंठन पर साजे. ॐ जय अम्बे…

 केहरि वाहन राजत खड़्ग खप्पर धारी
 सुर-नर मुनिजन सेवत तिनके दुखहारी. ॐ जय अम्बे… 

कानन कुण्डल शोभित नासग्रे मोती
 कोटिक चन्द्र दिवाकर राजत सम ज्योति. ॐ जय अम्बे…

 शुम्भ निशुम्भ विडारे महिषासुर धाती
 धूम्र विलोचन नैना निशदिन मदमाती. ॐ जय अम्बे… 

चण्ड – मुंड संहारे सोणित बीज हरे
 मधु कैटभ दोऊ मारे सुर भयहीन करे.ॐ जय अम्बे…

 ब्रह्माणी रुद्राणी तुम कमला रानी 
आगम निगम बखानी तुम शिव पटरानी. ॐ जय अम्बे… 

चौसठ योगिनी मंगल गावत नृत्य करत भैरु
 बाजत ताल मृदंगा और बाजत डमरु. ॐ जय अम्बे… 

तुम ही जग की माता तुम ही हो भर्ता
 भक्तन की दुःख हरता सुख सम्पत्ति कर्ताॐ जय अम्बे… 

भुजा चार अति शोभित वर मुद्रा धारी
 मन वांछित फ़ल पावत सेवत नर-नारी. ॐ जय अम्बे… 

कंचन थार विराजत अगर कपूर बाती
 श्रीमालकेतु में राजत कोटि रत्न ज्योति. ॐ जय अम्बे… 

श्री अम्बे जी की आरती जो कोई नर गावे
 कहत शिवानंद स्वामी सुख संपत्ति पावे. ॐ जय अम्बे…


आरती: माँ सरस्वती जी (Maa Saraswati Ji)

 आरती: माँ सरस्वती जी (Maa Saraswati Ji)



जय सरस्वती माता, मैया जय सरस्वती माता।
सदगुण वैभव शालिनी, त्रिभुवन विख्याता॥
॥ जय सरस्वती माता...॥

चन्द्रवदनि पद्मासिनि, द्युति मंगलकारी।
सोहे शुभ हंस सवारी, अतुल तेजधारी॥
॥ जय सरस्वती माता...॥

बाएं कर में वीणा, दाएं कर माला।
शीश मुकुट मणि सोहे, गल मोतियन माला॥
॥ जय सरस्वती माता...॥

देवी शरण जो आए, उनका उद्धार किया।
पैठी मंथरा दासी, रावण संहार किया॥
॥ जय सरस्वती माता...॥




Saturday, 18 July 2020

शनि आरती : जय जय श्री शनिदेव


शनि आरती : जय जय श्री शनिदेव


जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी।
सूर्य पुत्र प्रभु छाया महतारी॥
जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी ll

श्याम अंग वक्र-दृ‍ष्टि चतुर्भुजा धारी।
नी लाम्बर धार नाथ गज की असवारी॥
जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी ll

क्रीट मुकुट शीश राजित दिपत है लिलारी।
मुक्तन की माला गले शोभित बलिहारी॥
जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी ll

मोदक मिष्ठान पान चढ़त हैं सुपारी।
लोहा तिल तेल उड़द महिषी अति प्यारी॥
जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी ll

देव दनुज ऋषि मुनि सुमिरत नर नारी।
विश्वनाथ धरत ध्यान शरण हैं तुम्हारी॥
जय जय श्री शनि देवभक्तन हितकारी।।


Monday, 6 July 2020

शिव की आरती : जय शिव ओंकारा


शिव की आरती : जय शिव ओंकारा


जय शिव ओंकारा ॐ जय शिव ओंकारा ।
ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा ॥ 
जय शिव ओंकारा ॐ जय शिव ओंकारा॥

एकानन चतुरानन पंचानन राजे ।
हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे ॥ 
जय शिव ओंकारा ॐ जय शिव ओंकारा॥

दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे।
त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे ॥ 
जय शिव ओंकारा ॐ जय शिव ओंकारा॥

अक्षमाला बनमाला रुण्डमाला धारी ।
चंदन मृगमद सोहै भाले शशिधारी ॥ 
जय शिव ओंकारा ॐ जय शिव ओंकारा॥

श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे ।
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥
जय शिव ओंकारा ॐ जय शिव ओंकारा॥

कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूल धर्ता ।
जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता ॥
जय शिव ओंकारा ॐ जय शिव ओंकारा॥

ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका ।
प्रणवाक्षर मध्ये ये तीनों एका ॥ 
जय शिव ओंकारा ॐ जय शिव ओंकारा॥

काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी ।
नित उठि भोग लगावत महिमा अति भारी ॥ 
जय शिव ओंकारा ॐ जय शिव ओंकारा॥

त्रिगुण शिवजीकी आरती जो कोई नर गावे ।
कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे ॥ 
जय शिव ओंकारा ॐ जय शिव ओंकारा॥

आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की (Kunj Bihari Shri Girdhar Krishna Murari)



आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की

 (Kunj Bihari Shri Girdhar Krishna Murari)

आरती कुंजबिहारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
आरती कुंजबिहारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥

गले में बैजंती माला,
बजावै मुरली मधुर बाला ।
श्रवण में कुण्डल झलकाला,
नंद के आनंद नंदलाला ।

गगन सम अंग कांति काली,
राधिका चमक रही आली ।
लतन में ठाढ़े बनमाली

भ्रमर सी अलक,
कस्तूरी तिलक,
चंद्र सी झलक,
ललित छवि श्यामा प्यारी की,

श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
॥ आरती कुंजबिहारी की
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥

कनकमय मोर मुकुट बिलसै,
देवता दरसन को तरसैं ।
गगन सों सुमन रासि बरसै ।

बजे मुरचंग,
मधुर मिरदंग,
ग्वालिन संग,
अतुल रति गोप कुमारी की,

श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥
॥ आरती कुंजबिहारी की
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥

जहां ते प्रकट भई गंगा,
सकल मन हारिणि श्री गंगा ।
स्मरन ते होत मोह भंगा

बसी शिव सीस,
जटा के बीच,
हरै अघ कीच,
चरन छवि श्रीबनवारी की,

श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥
॥ आरती कुंजबिहारी की
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥

चमकती उज्ज्वल तट रेनू,
बज रही वृंदावन बेनू ।
चहुं दिसि गोपि ग्वाल धेनू

हंसत मृदु मंद,
चांदनी चंद,
कटत भव फंद,
टेर सुन दीन दुखारी की,

श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥
॥ आरती कुंजबिहारी की
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥

आरती कुंजबिहारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
आरती कुंजबिहारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥


Friday, 12 June 2020

गायत्री मंत्र हिंदी में अर्थ और फयदे के साथ


गायत्री मंत्र

ॐ भूर्भुवः स्वः
तत्सवितुर्वरेण्यं
भर्गो देवस्यः धीमहि
धियो यो नः प्रचोदयात्


गायत्री मंत्र का अर्थ
   भगवान सूर्य की स्तुति में गाए जाने वाले इस मंत्र का अर्थ निम्न है... उस प्राणस्वरूप, दुःखनाशक,

      सुखस्वरूप, श्रेष्ठ, तेजस्वी, पापनाशक, देवस्वरूप परमात्मा को हम अन्तःकरण में धारण करें. 
      वह परमात्मा हमारी बुद्धि को सन्मार्ग में प्रेरित करे.

कब करें गायत्री मंत्र का जाप
यूं तो इस बेहद सरल मंत्र को कभी भी पढ़ा जा सकता है लेकिन शास्त्रों के अनुसार

 इसका दिन में तीन बार जप करना चाहिए...
- प्रात:काल सूर्योदय से पहले और सूर्योदय के पश्चात तक.
- फिर दोबारा दोपहर को.
- फिर शाम को सूर्यास्त के कुछ देर पहले जप शुरू करना चाहिए.


गायत्री मंत्र के फायदे

हिन्दू धर्म में गायत्री मंत्र को विशेष मान्यता प्राप्त है. कई शोधों द्वारा यह भी प्रमाणित किया गया है
 कि गायत्री मंत्र के जाप से कई फायदे भी होते हैं जैसे : मानसिक शांति, चेहरे पर चमक, खुशी की प्राप्ति,
 चेहरे में चमकइन्द्रियां बेहतर होती हैं, गुस्सा कम आता है और बुद्धि तेज होती है.


Friday, 5 June 2020

Maha Mrityunjaya Mantra in Sanskrit and English With Meaning


Maha Mrityunjaya Mantra Lyrics in Sanskrit & English

माहा  मृत्युंजय  मंत्र  संस्कृत, इंग्लिश   में  अर्थ   के  साथ

ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् |
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ||

Aum Tryambakam yajaamahe sugandhim pushtivardhanam |
Urvaarukamiva bandhanaan-mrityormuksheeya maamritaat ||

The Meaning of the Mantra

We worship the three-eyed One, who is fragrant and who nourishes all.
Like the fruit falls off from the bondage of the stem, may we be liberated from death, from mortality.

Thursday, 4 June 2020

Shree Maha Laxmi Maa Ki Aarti : श्री लक्ष्मी माता की आरती


श्री लक्ष्मी माता जी की आरती 

ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता ।
तुमको निस दिन सेवत हर-विष्णु-धाता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता । 1

उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता ।
सूर्य-चन्द्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता ।  2

तुम पाताल-निरंजनि, सुख-सम्पत्ति-दाता ।
जो कोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि-सिद्धि-धन पाता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता ।  3

तुम पाताल-निवासिनि, तुम ही शुभदाता ।
कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनि, भवनिधि की त्राता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता ।  4

जिस घर तुम रहती, तहँ सब सद्गुण आता ।
सब सम्भव हो जाता, मन नहिं घबराता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता ।  5

तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न हो पाता ।
खान-पान का वैभव सब तुमसे आता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता ।  6

शुभ-गुण-मंदिर सुन्दर, क्षीरोदधि-जाता ।
रत्न चतुर्दश तुम बिन कोई नहिं पाता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता ।  7

महालक्ष्मीजी की आरती, जो कई नर गाता ।
उर आनन्द समाता, पाप शमन हो जाता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता ।  8




Monday, 1 June 2020

आरती: श्री गणेश जी हिंदी में


आरती: श्री गणेश जी

SHIV JI KI AARTI IN ENGLISH WITH MEANING

SHIV JI KI AARTI IN ENGLISH WITH  MEANING 

जय शिव ओंकारा ॐ जय शिव ओंकारा ।
ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा ॥ ॐ जय शिव ओंकारा ।1॥

Jai Shiv Omkara, Om jai Shiv Omkara,
Brahma Vishnu Sadashiv Arddhagni Dhara.
Om Jai Shiv Omkara


Meaning: Glory to you, O Shiva! Glory to you, O Omkaara! May Brahma, Vishnu and the assembly of other gods, including the great Lord Shiva, relieve me of my afflictions!

एकानन चतुरानन पंचानन राजे ।
हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे ॥ ॐ जय शिव ओंकारा ।2॥

Ekanan Chaturanan Panchanan Rajai,
Hansanan Garudasan Vrishvahan Sajai.
Om Jai Shiv Omkara

Meaning: Being the Absolute, True being, Consciousness and Bliss, you play the roles of all the three Gods - Brahma, Vishnu and Shiva. As Vishnu, you have but one face, as Brahma four and as Shiva five. They gladden the sight of all who behold them. As Brahma you prefer the back of the swan for your seat, as Vishnu you like to ensconce yourself on the back of Garuda (A large mythological eagle - like bird believed to be the vehicle of Lord Vishnu) and as Shiva you make the sacred bull your conveyance; all these stand ready. O Great Lord, pray rid me of my afflictions!

दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे।
त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे ॥ ॐ जय शिव ओंकारा ।3॥

Do Bhuj Char Chaturbhuj Das Bhuj Ati Sohe,
Trigun Roop Nirakhta Tribhuvan Jan Mohe.
Om Jai Shiv Omkara
Meaning: As Brahma, you possess two arms, as Vishnu four and as Shiva (Dashabaahu) ten, all of which look matchlessly lovely. No sooner do the inhabitants of the three spheres behold you than they are all enchanted. O great Lord Omkaara, pray rid me of my afflictions.

अक्षमाला बनमाला रुण्डमाला धारी ।
चंदन मृगमद सोहै भाले शशिधारी ॥ ॐ जय शिव ओंकारा ।4॥

Akshaymala Vanmala Mundmala Dhari,
Chadan Mrigmad Sohai Bhale Shashi Dhari.
Om Jai Shiv Omkara

Meaning: You are, O great Lord Omkaara, wearing a garland of Rudraaksha, another of forest flowers the third of skulls; your forehead, glistening in the moonlight which it holds, is smeared with sandal-paste and musk. Pray rid me of my afflictions.

श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे ।
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥ ॐ जय शिव ओंकारा ।5॥

Shvetambar Pitambar Baghambar Ange,
Sankadik Garunadik Bhootadik Sange.
Om Jai Shiv Omkara
Meaning: O great Lord Omkaara, your body is attired in white and yellow silken clothes and in tiger skin, while in your company are troops of goblins, gods like Brahma and divine seers like Sanaka. Pray rid me of my afflictions.

कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूल धर्ता ।
जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता ॥ ॐ जय शिव ओंकारा ।6॥

Kar ke Mashya Kamandalu Chakra Trishooldhari,
Sukhkari Dukhhari Jag Palankari.
Om Jai Shiv Omkara

Meaning: O great Lord Omkaara, you hold akamandalu (the mendicants water-jar) in one of your hands and in another a trident; you bring joy to all, destroy all distress and sustain the whole world. May you rid me of all my afflictions!

ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका ।
प्रणवाक्षर मध्ये ये तीनों एका ॥ ॐ जय शिव ओंकारा ।7॥

Brahma Vishnu Sadashiv Jaanat Aviveka,
Pranvaakshar me Shobhit Yah Tinon Eka.
Om Jai Shiv Omkara


Meaning: The ignorant (unwise and stupid) know Brahma, Vishnu and Shiva as three individual gods, but they are all indistinguishably fused into a single mystic syllable ‘OM’. Pray rid me of my afflictions.
काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी ।
नित उठि भोग लगावत महिमा अति भारी ॥ ॐ जय शिव ओंकारा ।8॥

Kashi Mein Vishwanath Viraje Nandi Brahmachari
 Nit Uth Darshan Paavat, Mahima Ati Bhaari
Om Jai Shiv Omkara

त्रिगुण शिवजीकी आरती जो कोई नर गावे ।
कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे ॥ ॐ जय शिव ओंकारा ।9॥

Trigun Swami ji Ki Aarti Jo Koi Nar Gave, 
Kahat Shivanand Swami Manvanchhit Phal Pave.
Om Jai Shiv Omkara

Meaning: Says Swami Shivananda, “He who recites this Arti to the Lord of the three gunas-sattva, rajas and tamas - attains fulfillment of his heart’s desire”. O great Lord Omkaara, may you rid me of my afflictions.

शिव जी की आरती हिंदी में (SHIV JI KI AARTI HINDI ME)


शिव जी की आरती

जय शिव ओंकारा ॐ जय शिव ओंकारा ।
ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा ॥ ॐ जय शिव ओंकारा ।1॥

एकानन चतुरानन पंचानन राजे ।
हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे ॥ ॐ जय शिव ओंकारा ।2॥

दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे।
त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे ॥ ॐ जय शिव ओंकारा ।3॥

अक्षमाला बनमाला रुण्डमाला धारी ।
चंदन मृगमद सोहै भाले शशिधारी ॥ ॐ जय शिव ओंकारा ।4॥

श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे ।
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥ ॐ जय शिव ओंकारा ।5॥

कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूल धर्ता ।
जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता ॥ ॐ जय शिव ओंकारा ।6॥

ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका ।
प्रणवाक्षर मध्ये ये तीनों एका ॥ ॐ जय शिव ओंकारा ।7॥

काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी ।
नित उठि भोग लगावत महिमा अति भारी ॥ ॐ जय शिव ओंकारा ।8॥

त्रिगुण शिवजीकी आरती जो कोई नर गावे ।
कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे ॥ ॐ जय शिव ओंकारा ।9॥


Sunday, 31 May 2020

Shree Hanuman Chalisa In English And With Description In English


Shri Guru Charan Saroj Raj 
Nij mane mukure sudhar 
Varnao Raghuvar Vimal Jasu
Jo dayaku phal char,

After cleansing the mirror of my mind with the pollen
dust of holy Guru's Lotus feet. I Profess the pure,
untainted glory of Shri Raghuvar which bestows the four
fold fruits of life.(Dharma, Artha, Kama and Moksha).

Budhi Hin Tanu Janike
Sumirau Pavan Kumar
Bal budhi Vidya dehu mohe
Harahu Kalesa Vikar.  

Fully aware of the deficiency of my intelligence, I
concentrate my attention on Pavan Kumar and humbly
ask for strength, intelligence and true knowledge to 
relieve me of all blemishes, causing pain.

श्री हनुमान चालीसा हिंदी में

दोहा :
 
श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि।
बरनऊं रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि।। 
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार।
बल बुद्धि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार।। 


चौपाई :
 
जय ज्ञान गुन सागर।
जय कपीस तिहुं लोक उजागर।1।
 
रामदूत अतुलित बल धामा।
अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा।2।
 
महाबीर बिक्रम बजरंगी।
कुमति निवार सुमति के संगी।3।
 
कंचन बरन बिराज सुबेसा।
कानन कुंडल कुंचित केसा।4।
 
हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै।
कांधे मूंज जनेऊ साजै।5I
 
संकर सुवन केसरीनंदन।
तेज प्रताप महा जग बन्दन।6।
 
विद्यावान गुनी अति चातुर।
राम काज करिबे को आतुर।7।
 
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया।
राम लखन सीता मन बसिया।8।
 
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा।
बिकट रूप धरि लंक जरावा।9।
 
भीम रूप धरि असुर संहारे।
रामचंद्र के काज संवारे।10।
 
लाय सजीवन लखन जियाये।
श्रीरघुबीर हरषि उर लाये।11।
 
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई।
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई।12।
 
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं।
अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं।13।
 
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा।
नारद सारद सहित अहीसा।14।
 
जम कुबेर दिगपाल जहां ते।
कबि कोबिद कहि सके कहां ते।15।
 
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा।
राम मिलाय राज पद दीन्हा।16।
 
तुम्हरो मंत्र बिभीषन माना।
लंकेस्वर भए सब जग जाना।17।
 
जुग सहस्र जोजन पर भानू।
लील्यो ताहि मधुर फल जानू।18।
 
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं।
जलधि लांघि गये अचरज नाहीं।19।
 
दुर्गम काज जगत के जेते।
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते।20।
 
राम दुआरे तुम रखवारे।
होत न आज्ञा बिनु पैसारे।21।
 
सब सुख लहै तुम्हारी सरना।
तुम रक्षक काहू को डर ना।22।
 
आपन तेज सम्हारो आपै।
तीनों लोक हांक तें कांपै।23।
 
भूत पिसाच निकट नहिं आवै।
महाबीर जब नाम सुनावै।24।
 
नासै रोग हरै सब पीरा।
जपत निरंतर हनुमत बीरा।25।
 
संकट तें हनुमान छुड़ावै।
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै।26।
 
सब पर राम तपस्वी राजा।
तिन के काज सकल तुम साजा।27I
 
और मनोरथ जो कोई लावै।
सोइ अमित जीवन फल पावै।28।
 
चारों जुग परताप तुम्हारा।
है परसिद्ध जगत उजियारा।29।
 
साधु-संत के तुम रखवारे।
असुर निकंदन राम दुलारे।30।
 
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता।
अस बर दीन जानकी माता।31।
 
राम रसायन तुम्हरे पासा।
सदा रहो रघुपति के दासा।32।
 
तुम्हरे भजन राम को पावै।
जनम-जनम के दुख बिसरावै।33।
 
अन्तकाल रघुबर पुर जाई।
जहां जन्म हरि-भक्त कहाई।34।
 
और देवता चित्त न धरई।
हनुमत सेइ सर्ब सुख करई।35।
 
संकट कटै मिटै सब पीरा।
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा।36।
 
जै जै जै हनुमान गोसाईं।
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं।37।
 
जो सत बार पाठ कर कोई।
छूटहि बंदि महा सुख होई।38।
 
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा।
होय सिद्धि साखी गौरीसा।39।
 
तुलसीदास सदा हरि चेरा।
कीजै नाथ हृदय मंह डेरा।40। 
 
दोहा :
 
पवन तनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप।।