Monday, 21 September 2020

Durga Aarti | दुर्गा आरती | Amba ji Aarti in Hindi

 Durga Aarti | दुर्गा आरती | Amba ji Aarti in Hindi



ॐ जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी
 तुम को निशदिन ध्यावत हरि ब्रह्मा शिवरी. ॐ जय अम्बे…

 मांग सिंदूर विराजत टीको मृगमद को
 उज्जवल से दो नैना चन्द्र बदन नीको. ॐ जय अम्बे…

 कनक समान कलेवर रक्ताम्बर राजे
रक्त पुष्प दल माला कंठन पर साजे. ॐ जय अम्बे…

 केहरि वाहन राजत खड़्ग खप्पर धारी
 सुर-नर मुनिजन सेवत तिनके दुखहारी. ॐ जय अम्बे… 

कानन कुण्डल शोभित नासग्रे मोती
 कोटिक चन्द्र दिवाकर राजत सम ज्योति. ॐ जय अम्बे…

 शुम्भ निशुम्भ विडारे महिषासुर धाती
 धूम्र विलोचन नैना निशदिन मदमाती. ॐ जय अम्बे… 

चण्ड – मुंड संहारे सोणित बीज हरे
 मधु कैटभ दोऊ मारे सुर भयहीन करे.ॐ जय अम्बे…

 ब्रह्माणी रुद्राणी तुम कमला रानी 
आगम निगम बखानी तुम शिव पटरानी. ॐ जय अम्बे… 

चौसठ योगिनी मंगल गावत नृत्य करत भैरु
 बाजत ताल मृदंगा और बाजत डमरु. ॐ जय अम्बे… 

तुम ही जग की माता तुम ही हो भर्ता
 भक्तन की दुःख हरता सुख सम्पत्ति कर्ताॐ जय अम्बे… 

भुजा चार अति शोभित वर मुद्रा धारी
 मन वांछित फ़ल पावत सेवत नर-नारी. ॐ जय अम्बे… 

कंचन थार विराजत अगर कपूर बाती
 श्रीमालकेतु में राजत कोटि रत्न ज्योति. ॐ जय अम्बे… 

श्री अम्बे जी की आरती जो कोई नर गावे
 कहत शिवानंद स्वामी सुख संपत्ति पावे. ॐ जय अम्बे…


आरती: माँ सरस्वती जी (Maa Saraswati Ji)

 आरती: माँ सरस्वती जी (Maa Saraswati Ji)



जय सरस्वती माता, मैया जय सरस्वती माता।
सदगुण वैभव शालिनी, त्रिभुवन विख्याता॥
॥ जय सरस्वती माता...॥

चन्द्रवदनि पद्मासिनि, द्युति मंगलकारी।
सोहे शुभ हंस सवारी, अतुल तेजधारी॥
॥ जय सरस्वती माता...॥

बाएं कर में वीणा, दाएं कर माला।
शीश मुकुट मणि सोहे, गल मोतियन माला॥
॥ जय सरस्वती माता...॥

देवी शरण जो आए, उनका उद्धार किया।
पैठी मंथरा दासी, रावण संहार किया॥
॥ जय सरस्वती माता...॥




Saturday, 18 July 2020

शनि आरती : जय जय श्री शनिदेव


शनि आरती : जय जय श्री शनिदेव


जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी।
सूर्य पुत्र प्रभु छाया महतारी॥
जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी ll

श्याम अंग वक्र-दृ‍ष्टि चतुर्भुजा धारी।
नी लाम्बर धार नाथ गज की असवारी॥
जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी ll

क्रीट मुकुट शीश राजित दिपत है लिलारी।
मुक्तन की माला गले शोभित बलिहारी॥
जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी ll

मोदक मिष्ठान पान चढ़त हैं सुपारी।
लोहा तिल तेल उड़द महिषी अति प्यारी॥
जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी ll

देव दनुज ऋषि मुनि सुमिरत नर नारी।
विश्वनाथ धरत ध्यान शरण हैं तुम्हारी॥
जय जय श्री शनि देवभक्तन हितकारी।।


Monday, 6 July 2020

शिव की आरती : जय शिव ओंकारा


शिव की आरती : जय शिव ओंकारा


जय शिव ओंकारा ॐ जय शिव ओंकारा ।
ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा ॥ 
जय शिव ओंकारा ॐ जय शिव ओंकारा॥

एकानन चतुरानन पंचानन राजे ।
हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे ॥ 
जय शिव ओंकारा ॐ जय शिव ओंकारा॥

दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे।
त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे ॥ 
जय शिव ओंकारा ॐ जय शिव ओंकारा॥

अक्षमाला बनमाला रुण्डमाला धारी ।
चंदन मृगमद सोहै भाले शशिधारी ॥ 
जय शिव ओंकारा ॐ जय शिव ओंकारा॥

श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे ।
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥
जय शिव ओंकारा ॐ जय शिव ओंकारा॥

कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूल धर्ता ।
जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता ॥
जय शिव ओंकारा ॐ जय शिव ओंकारा॥

ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका ।
प्रणवाक्षर मध्ये ये तीनों एका ॥ 
जय शिव ओंकारा ॐ जय शिव ओंकारा॥

काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी ।
नित उठि भोग लगावत महिमा अति भारी ॥ 
जय शिव ओंकारा ॐ जय शिव ओंकारा॥

त्रिगुण शिवजीकी आरती जो कोई नर गावे ।
कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे ॥ 
जय शिव ओंकारा ॐ जय शिव ओंकारा॥

आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की (Kunj Bihari Shri Girdhar Krishna Murari)



आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की

 (Kunj Bihari Shri Girdhar Krishna Murari)

आरती कुंजबिहारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
आरती कुंजबिहारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥

गले में बैजंती माला,
बजावै मुरली मधुर बाला ।
श्रवण में कुण्डल झलकाला,
नंद के आनंद नंदलाला ।

गगन सम अंग कांति काली,
राधिका चमक रही आली ।
लतन में ठाढ़े बनमाली

भ्रमर सी अलक,
कस्तूरी तिलक,
चंद्र सी झलक,
ललित छवि श्यामा प्यारी की,

श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
॥ आरती कुंजबिहारी की
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥

कनकमय मोर मुकुट बिलसै,
देवता दरसन को तरसैं ।
गगन सों सुमन रासि बरसै ।

बजे मुरचंग,
मधुर मिरदंग,
ग्वालिन संग,
अतुल रति गोप कुमारी की,

श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥
॥ आरती कुंजबिहारी की
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥

जहां ते प्रकट भई गंगा,
सकल मन हारिणि श्री गंगा ।
स्मरन ते होत मोह भंगा

बसी शिव सीस,
जटा के बीच,
हरै अघ कीच,
चरन छवि श्रीबनवारी की,

श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥
॥ आरती कुंजबिहारी की
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥

चमकती उज्ज्वल तट रेनू,
बज रही वृंदावन बेनू ।
चहुं दिसि गोपि ग्वाल धेनू

हंसत मृदु मंद,
चांदनी चंद,
कटत भव फंद,
टेर सुन दीन दुखारी की,

श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥
॥ आरती कुंजबिहारी की
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥

आरती कुंजबिहारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
आरती कुंजबिहारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥


Friday, 12 June 2020

गायत्री मंत्र हिंदी में अर्थ और फयदे के साथ


गायत्री मंत्र

ॐ भूर्भुवः स्वः
तत्सवितुर्वरेण्यं
भर्गो देवस्यः धीमहि
धियो यो नः प्रचोदयात्


गायत्री मंत्र का अर्थ
   भगवान सूर्य की स्तुति में गाए जाने वाले इस मंत्र का अर्थ निम्न है... उस प्राणस्वरूप, दुःखनाशक,

      सुखस्वरूप, श्रेष्ठ, तेजस्वी, पापनाशक, देवस्वरूप परमात्मा को हम अन्तःकरण में धारण करें. 
      वह परमात्मा हमारी बुद्धि को सन्मार्ग में प्रेरित करे.

कब करें गायत्री मंत्र का जाप
यूं तो इस बेहद सरल मंत्र को कभी भी पढ़ा जा सकता है लेकिन शास्त्रों के अनुसार

 इसका दिन में तीन बार जप करना चाहिए...
- प्रात:काल सूर्योदय से पहले और सूर्योदय के पश्चात तक.
- फिर दोबारा दोपहर को.
- फिर शाम को सूर्यास्त के कुछ देर पहले जप शुरू करना चाहिए.


गायत्री मंत्र के फायदे

हिन्दू धर्म में गायत्री मंत्र को विशेष मान्यता प्राप्त है. कई शोधों द्वारा यह भी प्रमाणित किया गया है
 कि गायत्री मंत्र के जाप से कई फायदे भी होते हैं जैसे : मानसिक शांति, चेहरे पर चमक, खुशी की प्राप्ति,
 चेहरे में चमकइन्द्रियां बेहतर होती हैं, गुस्सा कम आता है और बुद्धि तेज होती है.


Friday, 5 June 2020

Maha Mrityunjaya Mantra in Sanskrit and English With Meaning


Maha Mrityunjaya Mantra Lyrics in Sanskrit & English

माहा  मृत्युंजय  मंत्र  संस्कृत, इंग्लिश   में  अर्थ   के  साथ

ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् |
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ||

Aum Tryambakam yajaamahe sugandhim pushtivardhanam |
Urvaarukamiva bandhanaan-mrityormuksheeya maamritaat ||

The Meaning of the Mantra

We worship the three-eyed One, who is fragrant and who nourishes all.
Like the fruit falls off from the bondage of the stem, may we be liberated from death, from mortality.